जन्मदिन
बालो की सफेदी बढ़ती जा रही है,
उम्र बढ़ती और मियाद घटती जा रही है.
पर कौन गिला करें फिज़ूल,
मेरे दोस्तों की तादात बढ़ती जा रही है.
ख्वाइश है की फिर बच्चा बन जाऊ,
बड़प्पन को बेदखल कर मासूमियत से ittrau.
पर क्या करें ये दुनियादारी की मशरूफियत,
हर कही से रूबरू आ रही है.
पर कौन गिला करें फिज़ूल,
मेरे दोस्तों की तादात बढ़ती जा रही है.
सुबह से ही मुबारक़बादो की,
एक झड़ी सी बरसी जा रही है.
पर रह रह कर ज़िन्दगी की परेशानिया
मुसलसल चेहरा दिखा रही है.
पर कौन गिला करें फिज़ूल,
मेरे दोस्तों की तादात बढ़ती जा रही है.
Kya baat....
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDelete